भारतीय संविधान के तहत हुई राहुल गांधी पर कार्रवाई : राकेश चंद्राकर


महासमुंद। भाजपा प्रदेश पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री राकेश चंद्राकर ने कहा कि राहुल गांधी को मानहानि मामले में दो साल की सजा होने के बाद लोकसभा द्वारा अयोग्य करार दिए जाने से कांग्रेस नेताओं द्वारा संवैधानिक आदेश का अवहेलना करते हुए बेवजह हो हल्ला किया जा रहा है। जबकि, अदालत ने अपना काम किया है और लोकसभा ने अपना संवैधानिक दायित्व निभाया है। सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले के आधार पर लोकसभा अध्यक्ष ने कार्रवाई की है, उसे रोकने के लिए पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार उसी वक्त अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही थी, जिसके मसौदे को राहुल गांधी ने ही फाड़कर यह साबित करने का प्रयास किया था कि वे चुने हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बड़ा है।


सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (1) और (2) के तहत इसका प्रावधान है। लोकसभा अध्यक्ष ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के तहत ही निर्णय किया है। कांग्रेस बजाय राहुल गांधी को बेतुकी बयानबाजी से बचने की सलाह देने इस मुद्दे को लेकर वितंडा खड़ा करने की कोशिश करती दिख रही है। 

चंद्राकर ने आगे कहा कि कांग्रेसियों को यह ज्ञात होना चाहिए कि इससे पहले जब लालू प्रसाद यादव, रसीद मसूद, अशोक चंदेल, कुलदीप सेंगर और अब्दुल्ला आजम की सदस्यता गई थी, तब भी कांग्रसियों ने लोकतंत्र के खतरे में होने की बात कही थी? कानून व संविधान सम्मत कार्रवाई से लोकतंत्र कैसे खतरे में आ जाता है? क्या राहुल गांधी को देश के कायदे- कानून का पालन नहीं करना चाहिए? प्रदेश महामंत्री राकेश चंद्राकर ने कहा कि कांग्रेस को देश के अदालती व विधायी फैसले का सम्मान करना चाहिए, इन पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

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