प्रभु की भक्ति ही हमारी वास्तविक शक्ति यह संसार सरोवर हैं और हम इसके जीव

महासमुन्द। नगर के क्लब पारा वार्ड क्र 26 स्थित शर्मा निवास प्रांगण में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथायज्ञ हमारी वास्तविक शक्ति प्रभु की भक्ति में है। यह संसार एक सरोवर के समान है और हम सब इसी सरोवर के जीव हैं। जब जीव श्रीहरि के चरण कमल का आश्रय ले लेता है तो वे उसे इस संसार सागर से पार कर देते हैं। उसकी नैया डूबती नहीं है, उसे हमारे प्रभु उबार लेते हैं।



उक्त बातें वार्ड मनोज शर्मा एवं पार्षद मनीष शर्मा निवास में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ से पूज्य स्वामी पंडित पंकज तिवारी जी' एवं बेमेतरा से प्ररायणकर्ता सूर्यप्रकाश उपाध्याय ने कही। उन्होने कहा कि गजेंद्र मोक्ष की कथा केवल कथामात्र नहीं है, अपितु यह आपकी हमारी जीवन कथा है। ग्राह ने गजेंद्र का पांव पकड़ा और जब उसे कोई नहीं बचा पाया तब उसने भगवान की स्तुति की। भगवान आए और सुदर्शन चक्र से ग्राह का मस्तक धड़ से अलग कर दिया। 


भगवान ने पहले ग्राह का उद्धार किया। उन्होंने बताया कि विपत्ति के समय धैर्यवान व्यक्ति का परम कर्तव्य है कि वह अपने शत्रु से भी मित्रता कर ले। हम जानते हैं कि देवताओं ने ही सर्वप्रथम सागर मंथन का प्रस्ताव रखा था जिसे दैत्यों ने स्वीकार कर लिया। मंथन में सर्वप्रथम जहर निकला, जिसे भोलेनाथ ने अपने कंठ में धारण किया और नीलकंठ हो गए। आज कथा के तीसरे दिन स्वामी जी ने भक्ति की महिमा बताते हुए कहा कि भक्ति में ही शक्ति है जो परमात्मा को सेवक बना देता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित हुए।

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